दुनिया भर में हर साल भोजन के लिए पाले और मारे जाने वाले जानवरों की सँख्या
ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन पशु कृषि से उत्पन्न होता है।
वनों की कटाई का कारण पालतू पशुओं की चराई है
अपने खाने से लेके जीने मे, किसी भी संवेदनशील पशु के वस्तुकरण और उनसे बने उत्पाद से निषेध को ‘वीगनवाद’ कहते है।
वीगनवाद एक अहिंसक दर्शन है और इसे जीने वालो को ‘वीगन’ कहते है।
पशु-आधारित खाद्य पदार्थों को अस्वीकार करते हैं नैतिक, पर्यावरणीय और स्वास्थ्य कारणों से
पशु-व्युत्पन्न वस्त्रपशुओं तथा पर्यावरण के लिए
वीगंस लोग पर्यावरण की रक्षा करने, अपने स्वास्थ्य को बेहतर बनाने और नैतिक सिद्धांतों का पालन करने के लिए पशु-आधारित खाद्य पदार्थों से परहेज करते हैं। पौधे-आधारित आहार पारिस्थितिकी तंत्र पर पड़ने वाले बुरे प्रभाव को कम करते हैं, समग्र स्वास्थ्य को बेहतर बनाते हैं और पशु क्रूरता को रोकते हैं, जिससे एक करुणामय जीवनशैली और अच्छे भविष्य को बढ़ावा मिलता है।
वीगंस लोग पशुओं से बने कपड़े जैसे ऊन, चमड़ा और रेशम पहनने से मना करते हैं क्योंकि उन्हें पशुओं के शोषण, क्रूरता और पर्यावरण को होने वाले नुकसान के बारे में नैतिक चिंताएँ होती हैं। वे क्रूरता-मुक्त विकल्पों का इस्तेमाल करते हैं जो पशुओं के साथ होने वाली क्रूरता को कम करता है।
वीगंस नैतिकता के कारण जानवरों को मनोरंजन की तरह इस्तेमाल नहीं करते हैं। क्यूंकि इसमें शोषण, क्रूरता और उनके अधिकारों का उल्लंघन होता है। वीगंस सर्कस, चिड़ियाघर और रेसिंग जैसी प्रथाओं का विरोध करते हैं जिसमे पशु हिंसा शामिल है।
वीगंस, पशु क्रूरता, शोषण और पीड़ा को रोकने के लिए पशु-व्युत्पन्न और परीक्षण किए गए उत्पादों को अस्वीकार करते हैं। वे ऐसे उत्पादों से बचकर करुणा को बढ़ावा देने में विश्वास करते हैं।
यह डोनाल्ड वाटसन द्वारा गढ़ा गया था। ‘वीगन (Vegan)’ शब्द को ‘Vegetarian’ के पहले और अंतिम अक्षरों को मिलाकर चुना गया था।
वीगन –> पौधे आधारित भोजन खाते हैं – फल और सब्जियां, साबुत अनाज, फलियां, दालें, नट और बीज। एक संतुलित पौधे आधारित आहार में आवश्यक सभी पोषण होते हैं।
वीगन, मांस, डेयरी, अंडे, मछली या किसी अन्य पशु-व्युत्पन्न उत्पादों का सेवन नहीं करते हैं जैसे: शहद, जिलेटिन, दूध, दही, चमड़ा इत्यादि।
शहद एक पशु उत्पाद है और इसलिए वीगन लोग इससे परहेज करते हैं। मधुमक्खियां इंसानों के लिए नहीं अपने लिए शहद बनाती हैं। शहद एकत्र करने की प्रक्रिया में उन्हें अक्सर नुकसान होता है।
व्यावसायिक रूप से, एक शोषणकारी प्रक्रिया, बहुत सारी मधुमक्खियाँ फ़ैक्टरी फार्म की जाती हैं और अप्राकृतिक परिस्थितियों में रहती हैं। मादा मधुमक्खी को अक्सर कृत्रिम रूप से गर्भाधान कराया जाता है, उसे छत्ते को छोड़ने से रोकने के लिए उसके पंख काट दिए जाते हैं और 1 या 2 साल के बाद उसे बदल दिया जाता है (मार दिया जाता है) (सामान्य जीवन काल लगभग 5 वर्ष होता है)।
छत्ते से शहद निकालने के लिए धुँआ करने पर कई मधुमक्खियां मर जाती हैं। उन्हें फसलों को परागित करने के लिए ले जाया जाता है और इस प्रक्रिया में कई मधुमक्खियाँ मर जाती हैं।
कलिंग परागण के मौसम के अंत में की जाने वाली एक प्रक्रिया है, जहां सर्दियों के महीनों में लागत बचाने के लिए मधुमक्खियाँ को मार दिया जाता है क्योंकि मौसम फिर से शुरू होने पर मधुमक्खियों के नए बैच के साथ शुरुआत करना सस्ता होता है।
एक मधुमक्खी अपने पूरे जीवनकाल में केवल एक चम्मच का 1/12वां हिस्सा ही शहद बनाती है।
शहद को आपके आहार में खजूर सिरप, मेपल सिरप, एगेव अमृत, गुड़ से बदला जा सकता है और हमें मोम और शहद वाले उत्पादों को खरीदने से बचना चाहिए।
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विटामिन बी 12 आपके लाल रक्त कोशिकाओं और डीएनए के उत्पादन के साथ-साथ आपके तंत्रिका तंत्र के समुचित कार्य में एक आवश्यक भूमिका निभाता है।
यह मिट्टी में जीवाणुओं द्वारा बनाया जाता है लेकिन आजकल खाद्य उत्पादन के स्वच्छ तरीकों ने इसे प्राप्त करना मुश्किल बना दिया है। आजकल जानवरों को भी बी12 शॉट दिए जाते हैं। वीगन लोग B12 सप्लीमेंट्स या B12 युक्त खाद्य पदार्थों के माध्यम से आसानी से B12 के अनुशंसित स्तर प्राप्त कर सकते हैं।
पोषण विशेषज्ञ सलाह देते हैं कि वीगन लोग मल्टीविटामिन या विटामिन बी12 सप्लीमेंट लें या ऐसे खाद्य पदार्थ खाएं जो इस आवश्यक विटामिन से भरपूर हों। अधिकांश वीगनवाद पालन करने वालों के लिए, बी-12 सुनिश्चित करने का सबसे आसान तरीका सायनोकोबलामिन-आधारित टैबलेट लेना है।
B12 या Cobalamin की बड़ी मात्रा में आवश्यकता नहीं होती है क्योंकि यह वर्षों तक लीवर में जमा रहता है। चूंकि यह हमारे स्वास्थ्य में एक आवश्यक भूमिका निभाता है, वीगन लोगों को केवल यह सुनिश्चित करने की आवश्यकता है कि उनके पास इस आवश्यक पोषक तत्व का विश्वसनीय स्रोत है। स्वस्थ वयस्क पुरुषों और महिलाओं के लिए विटामिन बी 12 की अनुशंसित दैनिक खपत 2.4 एमसीजी है।
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यह एक गलत धारणा है कि पौधे आधारित आहार से पर्याप्त प्रोटीन नहीं मिल सकता है। प्रोटीन लगभग हर भोजन में पाया जाता है और जब तक आप संतुलित आहार लेते हैं तब तक प्रोटीन की कमी होना लगभग असंभव है। बीन्स, नट्स, बीज, अनाज, सोया और सब्जियों से जो चाहिए उसे प्राप्त करना आसान है।
प्रोटीन एक आवश्यक मैक्रोन्यूट्रिएंट है, जो शरीर की वृद्धि और मरम्मत और अच्छे स्वास्थ्य के रखरखाव के लिए आवश्यक है। वयस्कों के लिए अनुशंसित दैनिक भत्ता शरीर के वजन का 0.8 ग्राम प्रति किग्रा है यानी 0.8 * आपके शरीर का वजन, उतना प्रोटीन आपको चाहिए। पशु प्रोटीन के विपरीत, पौधे प्रोटीन में फाइबर अधिक होते हैं और संतृप्त वसा और कोलेस्ट्रॉल नहीं होते।
लोगों को यह बात समझनी होगी कि उद्योगों ने इस तरह से भ्रामक विपणन ( डेसिपेटिव मार्केटिंग) किया है और उसमें हमें सिर्फ गलत ही बातें बताई गई है।
जिन जानवरों को हम कृत्रिम रूप से अभिजनन ( ब्रीडिंग) करके पैदा करते है या पालते हैं वो करोड़ों की संख्या में होते हैं और वह सारे जानवर अगर शाकाहारी हैं तो उन्हें अनाज ही खिलाना पड़ता है। उन्हें खिलाने के लिए हमने कई जंगल काटकर करोड़ों टन अनाज उगाया हैं ताकि हम उन्हें साल भर या ६ महीने तक भरपूर खाना खिला सकें और फिर हम उन्हें मार के खा सके। लगभग यह सारे जानवर हम से १० से १५ गुना अधिक अनाज खाते हैं। तो हमारे मांस खाने के वजह से १० से १५ गुना और अधिक अनाज इस्तेमाल होता है। अगर सभी लोग वीगन बन जाए तो हमें इतना अनाज उगाने की कोई आवश्यकता नहीं होगी। भुखमरी मिट जाएगी, कई जंगल, पानी और हमारे कई संसाधन भी बच जाएंगे।
मांसाहार करने वाला हर व्यक्ति जानवरों को स्वयं नहीं मारता, आप लोग बाजार में पहले से उपलब्ध मांस को खरीद कर खाते हैं। परंतु आपको यह बात समझनी होगी की जब हम मांस की मांग करते हैं तभी वह बाजार में उपलब्ध होता है। मांस प्राप्त करने का केवल एक ही तरीका है और वो है जानवर को मारना पर एक सभ्य व्यक्ति होने के नाते हम खुद जानवरों को नहीं मारते, पर हम मांस की मांग बाजार में जरूर पैदा कर देते हैं। तो कोई गरीब खुद का घर चलाने के लिए जानवरों को मारने का गंदा और क्रूर काम करता हैं। जब हम मांस मांग करते है तो भले ही हम उसके दोषी ना हो परंतु हम उसके जिम्मेदार जरूर हो जाते हैं।
वीगन यह वनस्पति आधारित आहार है। तो अगर आप हर तरह की सब्जी, फल, दाल, फलियां, सूखे मेवे इन सबका सेवन अच्छी तरह से करे तो आपको जिन पोषक तत्वों की जरूरत है वह सभी आपको आसानी से मिल जाएंगे परंतु आप सिर्फ दाल चावल या कोई एक ही तरह की सब्जी खायेंगे तो आपको पोषक तत्वों की कमी हो जाएगी क्योंकि वनस्पतियों में सारे तरह के प्रोटीन , मिनरल्स यह फैले हुए हैं। तो आपको सभी तरह के सब्जी, फल, दाल का सेवन करने के बाद ही आवश्यक तत्त्व मिल पाएंगे सिवाय विटामिन D के। विटामिन D यह आपको सूरज की रोशनी से मिल जाएगा। इसके अलावा आपको हर तरह का पोषण वीगन आहार में मिल जाएगा।
वीगनवाद यह वनस्पति आधारित आहार खाने की और एक ऐसी जीवन शैली जीने की बात है जो कि करुणा और दया से भरपूर हो। तो अच्छा खाना खाने के लिए और अच्छा जीवन जीने के लिए आपको किसी डॉक्टर की सलाह लेने की कोई आवश्यकता नहीं है क्योंकि वनस्पति आधारित आहार यह सेहत के लिए बहुत अच्छा है। परंतु अगर आपकी स्वास्थ्य संबंधी कोई समस्या है तो आप डॉक्टर की सलाह जरूर ले सकते हैं। परंतु बहुत सारी बीमारियां यह वीगन आहार के वजह से ठीक हो सकती हैं या नियंत्रण में लायी जा सकती हैं। जैसे कि डायबिटीज,उच्च रक्तचाप, कमजोर हड्डियां इत्यादि।
उच्च रक्तचाप, २ से ३ हफ्तों में कम हो सकती हैं बस वीगन आहार खाने के साथ तेल भी कम करें।
बहुत सारे अध्ययन यह बताते हैं कि दूध और दूध के उत्पादों के अधिक इस्तेमाल के वजह से शरीर में काफी मात्रा में एसिड निर्माण होता है और आपकी हड्डियों से कैल्शियम खींचता है ताकि शरीर में अल्कलाइन का संतुलन बना रहे तो अगर आप दूध और दूध के उत्पाद कम करेंगे तो आपकी हड्डियां और मजबूत होंगी। इसी के साथ आप कसरत करें और शारीरिक काम करने के लिए हड्डियों का इस्तेमाल करें ताकि आपकी हड्डियां मजबूत बानी रहे।
बहुत सारे लोग यह कहते हैं की वीगन होना महंगा है, परंतु सच में वीगनवाद बहुत ही सस्ता है। क्योंकि वीगनवाद आपको घी, दूध, पनीर, अंडे, मछलियां, चीज, बटर, मांस ऐसे महंगे उत्पाद खाने से मना करता है उसके बदले आपको कहीं भी, किसी भी बाजार में आसानी से मिलने वाले सब्जी, अनाज, फल खाने के लिए प्रोत्साहित करता है। आपको कोई यह नहीं कहता है की कोई महंगा या बाहर के देश से मंगाया हुआ वीगन उत्पाद खाए बल्कि इसके बदले आप कोई भी सस्ता वनस्पति आधारित आहार खा सकते हैं।
इन पशु उत्पादों को छोड़ने के बाद आप और स्वतंत्र महसूस करेंगे क्योंकि आप नैतिकता और अपने विश्वास के साथ अपना जीवन जी रहे हैं। आपको ऐसा कोई उत्पाद इस्तेमाल करने की आवश्यकता नहीं है जिसमें क्रूरता हो जैसे कि ऊन, शहद, दूध, दही, पनीर, चमड़ा इत्यादि। इसके बदले आप क्रूरता मुक्त उत्पाद का इस्तेमाल करें जो की आपको कहीं भी आसानी से मिल जायेंगे। आज इंटरनेट का दौर है आप ऑनलाइन उत्पाद माँगा सकते है। वीगनवाद एक सस्ती, नैतिकता और सेहत से भरपूर जीवन शैली है।
YVCare यह संस्था जागरूकता फैलाने का काम करती है और कुछ भी होने से पहले जागरूकता और ज्ञान सबके पास होना बहुत आवश्यक है और यही एक बड़े बदलाव के ओर हमारा पहला कदम होगा।
Yv care यह संस्था भारत में वीगनवाद के प्रति जागरूकता, ज्ञान फैलाने का काम कर रही है। तो एक अच्छे और स्थायी बदलाव की ओर सबसे पहला कदम जानकारी और ज्ञान देने का ही होता है। हम सब कुछ तो नहीं कर सकते और अगर हम सब कुछ करने लगें तो हम यह काम नहीं कर पाएंगे और देखा जाए तो जागरूकता और ज्ञान की भारत में बहुत आवश्यकता है क्योंकि भारत में लोग वीगनवाद के बारे में बहुत कम जानकारी रखते हैं। हम आज नींव मजबूत करेंगे तो कल एक अच्छी दुनिया का निर्माण कर पाएंगे।
यह सच बात है कि सोया खेती से पर्यावरण को बहुत नुकसान होता है। सोया यह दूसरे अनाज के मुकाबले बहुत पानी इस्तेमाल करता है और जब हम सोया को औद्योगिक या आनुवंशिक रूप से रूपांतरित करते है (GMO) तो सोया बहुत सारे टोक्सिन बनाता है क्योंकि इस खेती में बहुत सारे केमिकल्स इस्तेमाल होते है और इसका धरती पर बहुत खराब प्रभाव होता है तो सोया यह पर्यावरण के लिए नुकसानदायक है। परंतु यह बात जानकर आपको आश्चर्य होगा की हम जितना सोया उगाते है, उसमें का ७० से ८०% सोया यह पशु खेती ( पशु फार्मिंग) के पशुओं के भोजन में जाता है ताकि यह पशु जल्दी बड़े हो जाए।
तो अगर आपको पर्यावरण की इतनी ही चिंता है तो पहले पशु खेती बंद करनी होगी। वीगनवाद के बारे में एक और गलत धारणा है की वीगन लोग केवल सोया खाते है की , तो वीगन खाने में सोया यह एक चीज है अगर आपको पसंद है तो खाएं और ना पसंद तो न खाए आपके पास और भी कई विकल्प है जैसे की सब्जियां, फल, दाल। एक और गलत धारणा है की वीगन खाने में सबसे ज्यादा प्रोटीन यह सोया से आता है। अगर आप बाजार या ऑनलाइन साइट्स पर देखे तो ८०% वीगन प्रोटीन यह सोया फ्री होता है। तो वह प्रोटीन गेहूं, चने और अलग अनाज से आता है। तो यह बहुत ही गलत धारणा है की वीगन बहुत ज्यादा सोया खाते हैं और धरती का नुकसान कर रहे हैं।